रामाश्रयी शाखा (राम काव्य) - 1.विशेषताएँ ।
1. भगवान राम विष्णु के अवतार हैं। वह परमब्रह्मस्वरूप हैं, मर्यादापुरुषोत्तम हैं, शील-सौन्दर्य,शक्ति के समन्वय हैं। वो व्यापक, अजित, अनादि्, अनन्त,गो, द्विज,धेनु,देव,मनुष्य सबके हितकारी हैं, कृपासिन्धु हैं पृथ्वी पर आदर्श की स्थापना के लिए मनुष्य के रूप में अवतार लिए हैं। तुलसी के परमाराध्य हैं,ऐसे मंगलभवन, अमंगलहारी, अजिर बिहारी राम इस काव्यधारा के प्रतिपाद्य विषय हैं।
2. रामश्रयी का दृष्टिकोण समन्वयात्मक है, इस काव्य में विराट समन्वय की चेष्टा है।
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