माडल
प्रश्नपत्र-2019
शास्त्रिपरीक्षायाम्
द्वितीयवर्षे
हिंदीविषये
‘ख’वर्गे
सप्तमप्रश्नपत्रम्
समय-घण्टात्रयम् सम्पूर्णांकाः-100
उत्तीर्णांकाः-36
प्रथम
भाग
(व्याख्यात्मक
/निबंधात्मक )
1.निम्नलिखित पद्य खंडों
में से किन्ही दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) सखि वे मुझसे कहकर जाते ।
मैंने मुख्य उसी को जाना
जो वे मन में लाते।
सखि, वे मुझसे कहकर
जाते।
स्वयं
सुसज्जित करके क्षण में,
प्रियतम
को, प्राणों के पण में,
हमीं भेज
देती हैं रण में –
क्षात्र-धर्म के नाते
सखि, वे मुझसे कहकर
जाते।
(ख) रवि हुआ अस्त;
ज्योति के पत्र पर लिखा अमर
रह गया राम-रावण का अपराजेय समर
आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर,
शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर,
प्रतिपल - परिवर्तित - व्यूह - भेद कौशल समूह
राक्षस - विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध - कपि विषम हूह,
विच्छुरित वह्नि - राजीवनयन - हतलक्ष्य - बाण,
लोहितलोचन - रावण मदमोचन - महीयान,
राघव-लाघव - रावण - वारण - गत - युग्म - प्रहर,
उद्धत - लंकापति मर्दित - कपि - दल-बल - विस्तर,
अनिमेष - राम-विश्वजिद्दिव्य - शर - भंग - भाव,
विद्धांग-बद्ध - कोदण्ड - मुष्टि - खर - रुधिर - स्राव,
रावण - प्रहार - दुर्वार - विकल वानर - दल - बल,
मुर्छित - सुग्रीवांगद - भीषण - गवाक्ष - गय - नल,
वारित - सौमित्र - भल्लपति - अगणित - मल्ल - रोध,
रह गया राम-रावण का अपराजेय समर
आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर,
शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर,
प्रतिपल - परिवर्तित - व्यूह - भेद कौशल समूह
राक्षस - विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध - कपि विषम हूह,
विच्छुरित वह्नि - राजीवनयन - हतलक्ष्य - बाण,
लोहितलोचन - रावण मदमोचन - महीयान,
राघव-लाघव - रावण - वारण - गत - युग्म - प्रहर,
उद्धत - लंकापति मर्दित - कपि - दल-बल - विस्तर,
अनिमेष - राम-विश्वजिद्दिव्य - शर - भंग - भाव,
विद्धांग-बद्ध - कोदण्ड - मुष्टि - खर - रुधिर - स्राव,
रावण - प्रहार - दुर्वार - विकल वानर - दल - बल,
मुर्छित - सुग्रीवांगद - भीषण - गवाक्ष - गय - नल,
वारित - सौमित्र - भल्लपति - अगणित - मल्ल - रोध,
(ग) दिवसावसान का समय-
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या-सुन्दरी, परी सी,
धीरे, धीरे, धीरे
तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर,
किंतु ज़रा गंभीर, नहीं है उसमें हास-विलास।
हँसता है तो केवल तारा एक-
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से,
हृदय राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक।
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या-सुन्दरी, परी सी,
धीरे, धीरे, धीरे
तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर,
किंतु ज़रा गंभीर, नहीं है उसमें हास-विलास।
हँसता है तो केवल तारा एक-
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से,
हृदय राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक।
2.निम्नलिखित प्रश्नों में
से किसी एक की विस्तृत समीक्षा कीजिए-
(क)’उर्मिला
का विरह वर्णन’ काव्य शीर्षक की विशेषताएँ लिखिए ।
(ख) तोड़ती
पत्थर कविता के भागवत सौंदर्य की समीक्षा कीजिए ।
3.निम्नलिखित प्रश्नों में
से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए -
(क)छायावादी
काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
(ख)प्रयोगवादी
कविता की प्रमुख प्रवृत्ति पर प्रकाश डालिए ।
द्वितीय
भाग
(लघूत्तरी
एवं विवरणात्मक)
4.निम्नलिखित कवियों में
में से किसी एक कवि की भाववाचक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए (क)मैथिलीशरण गुप्त
(ख)सूर्यकांत त्रिपाठी
निराला
तृतीय
भाग
(अतिलघूत्तरीय)
5.सभी प्रश्न अनिवार्य हैं
(क)निराला की चार रचनाओं
के नाम बताइए।
(ख) महादेवी वर्मा के चार
काव्य कृतियों के नाम बताइए।
(ग)सुदामा पांडे धूमिल की
रचनाओं का नाम लिखिए ।
(घ) परिवर्तन कविता के
लेखक कौन है ।
(ङ) उर्मिला का विरह वर्णन
किस कवि ने लिखा है।
(च) चार प्रयोगवादी कवियों
के नाम बताइए ।
(छ) द्विवेदी युग की तीन
विशेषताओं को लिखिए ।
(ज) नागार्जुन और गजानन
माधव मुक्तिबोध किस युग के कवि हैं।
(झ) ‘चाँद का मुंह टेढ़ा
है’ किस कवि की रचना है
(ञ) जयशंकर प्रसाद के तीन
काव्य रचनाओं के नाम लिखिए ।
(ट) संध्या-सुंदरी के लेखक
कौन है¿
(ठ) नयी कविता काव्य की
तीन विशेषताएँ लिखिए।
इसका उत्तर मार्च-2019 में प्रकाशित किया जाएगा । तब तक स्वयं हल करें।
इसका उत्तर मार्च-2019 में प्रकाशित किया जाएगा । तब तक स्वयं हल करें।
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