आकारान्त शब्द - पुल्लिंग (गोपा) स्त्रीलिंग (विद्या), का रूप दिया गया है।
ईकारान्त
पुल्लिङ्ग (प्रधी,सखी), स्त्रीलिंग (नदी,लक्ष्मी,स्त्री,श्री), नपुंसकलिङ्ग () का रूप दिया गया है।
लक्ष्मी,स्त्री,श्री का रूप स्त्रीलिंग में अलग है इसलिए इसका रूप भी दिया गया है।
उकारान्त पुल्लिंग - गुरु शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | गुरुः | गुरू | गुरवः |
| द्वितिया | गुरुम् | गुरू | गुरून् |
| तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
| चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
| पञ्चमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
| षष्ठी | गुरोः | गुर्योः | गुरूणाम् |
| सप्तमी | गुरौ | गुर्योः | गुरुषु |
| सम्बोधन | हे गुरो | हे गुरू | हे गुरवः |
👉 गुरु की तरह ही भानु,शिशु,वायु,पशु,विष्णु,रिपु सिन्धु,शत्रु,मृत्यु,तरु,विन्दु,बाहु,पांशु (धूलि) इषु (बाण), विधु (चन्द्रमा) मृदु(कोमल) प्रभु, साधु, उरु (जाँघ), वेणु(बाँस) के भी रूप चलेंगे।
उकारान्त स्त्रीलिंग - धेनुः शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | धेनुः | धेनू | धेनवः |
| द्वितिया | धेनुम् | धेनू | धेनूः |
| तृतीया | धेन्वा | धेनुभ्याम् | धेनुभिः |
| चतुर्थी | धेन्वै | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
| पञ्चमी | धेन्वाः | धेनुभ्याम् | धेनुभ्यः |
| षष्ठी | धेन्वाः | धेन्वोः | धेनूनाम् |
| सप्तमी | धेनौ | धेन्वोः | धेनुषु |
| सम्बोधन | हे धेनो | हे धेनू | हे धेनवः |
उकारान्त नपुंसकलिंग - वस्तु शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | वस्तु | वस्तू | वस्तूनि |
| द्वितिया | वस्तु | वस्तू | वस्तूनि |
| तृतीया | वस्तुना | वस्तुभ्याम् | वस्तुभिः |
| चतुर्थी | वस्तुने | वस्तुभ्याम् | वस्तुभ्यः |
| पञ्चमी | वस्तुनः | वस्तुभ्याम् | वस्तुभ्यः |
| षष्ठी | वस्तुनः | वस्त्वोः | वस्तूनाम् |
| सप्तमी | वस्तुनि | वस्त्वोः | वस्तुषु |
| सम्बोधन | हे वस्तु | हे वस्तू | हे वस्तूनि |
ऊकारान्त पुल्लिंग - स्वयंभू शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | स्वयंभूः | स्वयंभू | स्वयंभवः |
| द्वितिया | स्वयंभुवम् | स्वयंभू | स्वयंभून् |
| तृतीया | स्वयंभुवा | स्वयंभुभ्याम् | स्वयंभुभिः |
| चतुर्थी | स्वयंभुवे | स्वयंभुभ्याम् | स्वयंभुभ्यः |
| पञ्चमी | स्वयंभुवः | स्वयंभुभ्याम् | स्वयंभुभ्यः |
| षष्ठी | स्वयंभुवः | स्वयंभ्वोः | स्वयंभुवाम् |
| सप्तमी | स्वयंभुवि | स्वयंभ्वोः | स्वयंभुषु |
| सम्बोधन | हे स्वयंभो | हे स्वयंभू | हे स्वयंभवः |
स्वयंभू की तरह: गुरु, धेनु (पुंलिंग रूप में), मित्रु इत्यादि।
ऊकारान्त स्त्रीलिंग - वधू शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | वधूः | वध्वौ | वध्वः |
| द्वितिया | वधूम् | वध्वौ | वध्वः |
| तृतीया | वध्वा | वधूभ्याम् | वधूभिः |
| चतुर्थी | वध्वै / वध्वे | वधूभ्याम् | वधूभ्यः |
| पञ्चमी | वध्वाः | वधूभ्याम् | वधूभ्यः |
| षष्ठी | वध्वाः | वध्वोः | वधूनाम् |
| सप्तमी | वध्वाम् | वध्वोः | वधूसु |
| सम्बोधन | हे वधु | हे वध्वौ | हे वध्वः |
वधू की तरह: तनू, पृथू, जटू इत्यादि।
ऋकारान्त पुल्लिंग - पितृ शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
| द्वितिया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
| तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
| चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
| पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
| षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
| सप्तमी | पितरि | पित्रोः | पितृषु |
| सम्बोधन | हे पितः | हे पितरौ | हे पितरः |
ऋकारान्त स्त्रीलिंग - मातृ शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | माता | मातरौ | मातरः |
| द्वितिया | मातरम् | मातरौ | मातॄन् |
| तृतीया | मात्रा | मातृभ्याम् | मातृभिः |
| चतुर्थी | मात्रे | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
| पञ्चमी | मातुः | मातृभ्याम् | मातृभ्यः |
| षष्ठी | मातुः | मात्रोः | मातॄणाम् |
| सप्तमी | मातरि | मात्रोः | मातृषु |
| सम्बोधन | हे माते | हे मातरौ | हे मातरः |
ऋकारान्त नपुंसकलिंग - जत्रु शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | जत्रु | जत्रू | जत्रूनि |
| द्वितिया | जत्रु | जत्रू | जत्रूनि |
| तृतीया | जत्रुणा | जत्रुभ्याम् | जत्रुभिः |
| चतुर्थी | जत्रुणे | जत्रुभ्याम् | जत्रुभ्यः |
| पञ्चमी | जत्रुणः | जत्रुभ्याम् | जत्रुभ्यः |
| षष्ठी | जत्रुणः | जत्र्वोः | जत्रूनाम् |
| सप्तमी | जत्रुणि | जत्र्वोः | जत्रुषु |
| सम्बोधन | हे जत्रु | हे जत्रू | हे जत्रूनि |
ञकारान्त पुल्लिंग - पाणिन् शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | पाणिः | पाणिनौ | पाणिनः |
| द्वितिया | पाणिनम् | पाणिनौ | पाणिनः |
| तृतीया | पाणिना | पाणिभ्याम् | पाणिभिः |
| चतुर्थी | पाणिने | पाणिभ्याम् | पाणिभ्यः |
| पञ्चमी | पाणिनः | पाणिभ्याम् | पाणिभ्यः |
| षष्ठी | पाणिनः | पाणिनोः | पाणिनाम् |
| सप्तमी | पाणिनि | पाणिनोः | पाणिषु |
| सम्बोधन | हे पाणे | हे पाणिनौ | हे पाणिनः |
ञकारान्त स्त्रीलिंग - अतिविदुषी शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | अतिविदुषी | अतिविदुष्यौ | अतिविदुष्यः |
| द्वितिया | अतिविदुषीम् | अतिविदुष्यौ | अतिविदुषीः |
| तृतीया | अतिविदुष्या | अतिविदुषीभ्याम् | अतिविदुषीभिः |
| चतुर्थी | अतिविदुष्यै | अतिविदुषीभ्याम् | अतिविदुषीभ्यः |
| पञ्चमी | अतिविदुष्याः | अतिविदुषीभ्याम् | अतिविदुषीभ्यः |
| षष्ठी | अतिविदुष्याः | अतिविदुष्योः | अतिविदुषीणाम् |
| सप्तमी | अतिविदुष्याम् | अतिविदुष्योः | अतिविदुषीषु |
| सम्बोधन | हे अतिविदुषि | हे अतिविदुष्यौ | हे अतिविदुष्यः |
ञकारान्त नपुंसकलिंग - चिदस्मिन् शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | चिदस्मिन् | चिदस्मीनी | चिदस्मीनि |
| द्वितिया | चिदस्मिन् | चिदस्मीनी | चिदस्मीनि |
| तृतीया | चिदस्मिना | चिदस्मीभ्याम् | चिदस्मीभिः |
| चतुर्थी | चिदस्मिने | चिदस्मीभ्याम् | चिदस्मीभ्यः |
| पञ्चमी | चिदस्मिनः | चिदस्मीभ्याम् | चिदस्मीभ्यः |
| षष्ठी | चिदस्मिनः | चिदस्मिनोः | चिदस्मीनाम् |
| सप्तमी | चिदस्मिनि | चिदस्मिनोः | चिदस्मीषु |
| सम्बोधन | हे चिदस्मिन् | हे चिदस्मीनी | हे चिदस्मीनि |
तकारान्त पुल्लिंग - श्रीमत् शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | श्रीमान् | श्रीमन्तौ | श्रीमन्तः |
| द्वितिया | श्रीमन्तम् | श्रीमन्तौ | श्रीमतः |
| तृतीया | श्रीमता | श्रीमद्भ्याम् | श्रीमद्भिः |
| चतुर्थी | श्रीमते | श्रीमद्भ्याम् | श्रीमद्भ्यः |
| पञ्चमी | श्रीमतः | श्रीमद्भ्याम् | श्रीमद्भ्यः |
| षष्ठी | श्रीमतः | श्रीमतोः | श्रीमन्ताम् |
| सप्तमी | श्रीमति | श्रीमतोः | श्रीमत्सु |
| सम्बोधन | हे श्रीमान् | हे श्रीमन्तौ | हे श्रीमन्तः |
तकारान्त स्त्रीलिंग - सरित् शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | सरित् | सरितौ | सरितः |
| द्वितिया | सरितम् | सरितौ | सरितः |
| तृतीया | सरिता | सरिद्भ्याम् | सरिद्भिः |
| चतुर्थी | सरितै | सरिद्भ्याम् | सरिद्भ्यः |
| पञ्चमी | सरितः | सरिद्भ्याम् | सरिद्भ्यः |
| षष्ठी | सरितः | सरितोः | सरिताम् |
| सप्तमी | सरिति | सरितोः | सरित्सु |
| सम्बोधन | हे सरित् | हे सरितौ | हे सरितः |
तकारान्त नपुंसकलिंग - जगत् शब्द
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
| प्रथमा | जगत् | जगती | जगत्सु |
| द्वितिया | जगत् | जगती | जगत्सु |
| तृतीया | जगता | जगद्भ्याम् | जगद्भिः |
| चतुर्थी | जगते | जगद्भ्याम् | जगद्भ्यः |
| पञ्चमी | जगतः | जगद्भ्याम् | जगद्भ्यः |
| षष्ठी | जगतः | जगतोः | जगताम् |
| सप्तमी | जगति | जगतोः | जगत्सु |
| सम्बोधन | हे जगत् | हे जगती | हे जगत्सु |
बहुत सराहनीय कार्य है परन्तु बहुवचन को देखने में समस्या हो रही है
जवाब देंहटाएंयदि बहुबचन देखने में समस्या हो रही हो तो आप अपने क्रोम ब्राउजर के सेटिंग में जाकर डेक्सटॉप मोड कर लें तो मोबाइल में यह समस्या नहीं रहेगी ।
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