इकारान्त,उकारान्त इत्यादि सभी कारान्तों के पुल्लिंग,स्त्रीलिंग,नपुंसक लिंग के रूप दिये गये हैं। इसी आधार पर अन्य शब्दों का रूप आप स्वयं बना सकते हैं।
अकारान्त
1 अकारान्त पुल्लिंग- राम शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
रामः |
रामौ |
रामाः |
द्वितिया |
रामम् |
रामौ |
रामान् |
तृतीया |
रामेण |
रामाभ्याम् |
रामैः |
चतुर्थी |
रामाय |
रामाभ्याम् |
रामेभ्यः |
पंचमी |
रामात् |
रामाभ्याम् |
रामेभ्यः |
षष्ठी |
रामस्य |
रामयोः |
रामाणाम् |
सप्तमी |
रामे |
रामयोः |
रामेषु |
सम्बोधन |
हे रामः |
हे रामौ |
हे रामाः |
|
अकारान्त स्त्रीलिंग - बालिका शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
बालिका |
बालिके |
बालिकाः |
द्वितिया |
बालिकाम् |
बालिके |
बालिकाः |
तृतीया |
बालिकया |
बालिकाभ्याम् |
बालिकाभिः |
चतुर्थी |
बालिकायै |
बालिकाभ्याम् |
बालिकेभ्यः |
पंचमी |
बालिकयाः |
बालिकाभ्याम् |
बालिकेभ्यः |
षष्ठी |
बालिकयाः |
बालिकयोः |
बालिकानाम् |
सप्तमी |
बालिकायाम् |
बलिकयोः |
बालिकासु |
सम्बोधन |
हे बालिके |
हे बालिके |
हे बालिकाः |
|
अकारान्त नपुंसक लिंग – फल शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
फलम् |
फले |
फलानि |
द्वितिया |
फलम् |
फले |
फलानि |
तृतीया |
फलेन् |
फलाभ्याम् |
फलैः |
चतुर्थी |
फलाय |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
पंचमी |
फलात् |
फलाभ्याम् |
फलेभ्यः |
षष्ठी |
फलस्य |
फलयोः |
फलानाम् |
सप्तमी |
फले |
फलयोः |
फलेषु |
सम्बोधन |
हे फल |
हे फले |
हे फलानि |
राम की तरह -बालकः, नरः, नृपः, अश्वः, शुकः, बकः, गजः मनुष्यः, ग्रहः, चौरः, कूपः, सूर्यः, कपोतः, कृष्णः, शिवः, पुत्रः, वक्षः, मेघः, छात्रः, शिक्षकः,ईश्वरः,मयूरः इत्यादि के भी रूप चलेंगे ।
बालिका की तरह- रमा, लता, गंगा, कन्या, कान्ता भार्या, कथा, क्षमा, शिला इत्यादि के भी रूप चलेंगे ।
फल की तरह- वन,मित्र,मुख,धन,गगन,गृह,ज्ञान,दिन,पात्र,नगर,वस्त्र इत्यादि के रूप चलेंगे ।
आकारान्त
आकारान्त पुल्लिंग- गोपा शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
गोपा |
गोपौ |
गोपाः |
द्वितिया |
गोपाम् |
गोपौ |
गोपः |
तृतीया |
गोपा |
गोपाभ्याम् |
गोपाभिः |
चतुर्थी |
गोपै |
गोपाभ्याम् |
गोपाभ्यः |
पंचमी |
गोपः |
गोपाभ्याम् |
गोपाभ्यः |
षष्ठी |
गोपः |
गोपोः |
गोपाम् |
सप्तमी |
गोपि |
गोपोः |
गोपासु |
सम्बोधन |
हो गोपाः |
हे गोपौ |
हे गोपाः |
|
आकारान्त स्त्रीलिंग - विद्या शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
विद्या |
विद्ये |
विद्याः |
द्वितिया |
विद्याम् |
विद्ये |
विद्याः |
तृतीया |
विद्यया |
विद्याभ्याम् |
विद्याभिः |
चतुर्थी |
विद्यायै |
विद्याभ्याम् |
विद्याभ्यः |
पंचमी |
विद्यायाः |
विद्याभ्याम् |
विद्याभ्यः |
षष्ठी |
विद्यायाः |
विद्ययोः |
विद्यानाम् |
सप्तमी |
विद्यायाम् |
विद्ययोः |
विद्यासु |
सम्बोधन |
हे विद्ये |
हे विद्ये |
हे विद्याः |
गोपा की तरह |
विश्वपा, धूम्रपा, सोमपा, बलदा के रूप चलेंगे । |
इकारान्त
इकारान्त पुल्लिंग- हरि शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
हरिः |
हरी |
हरयः |
द्वितिया |
हरिम् |
हरी |
हरीन् |
तृतीया |
हरिणा |
हरिभ्याम् |
हरीभिः |
चतुर्थी |
हरये |
हरिभ्याम् |
हरीभ्यः |
पंचमी |
हरेः |
हरीभ्याम् |
हरीभ्यः |
षष्ठी |
हरेः |
हरयो |
हरीनाम् |
सप्तमी |
हरौ |
हरयो |
हरीषु |
सम्बोधन |
हे हरे |
हे हरी |
हे हरयः |
|
इकारान्त स्त्रीलिंग - मति शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
मतिः |
मती |
मतयः |
द्वितिया |
मतिम् |
मती |
मतीन् |
तृतीया |
मत्या |
मतीभ्याम् |
मतिभिः |
चतुर्थी |
मत्ये |
मतीभ्याम् |
मतीभ्यः |
पंचमी |
मत्याः |
मतीभ्याम् |
मतीभ्यः |
षष्ठी |
मत्याः |
मत्योः |
मतीनाम् |
सप्तमी |
मत्याम् |
मत्योः |
मतिषु |
सम्बोधन |
हे मते |
हे मती |
हे मतयः |
|
इकारान्त नपुंसक लिंग – वारि शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
वारि |
वारिणि |
वारीणि |
द्वितिया |
वारि |
वारिणि |
वारीणि |
तृतीया |
वारिणा |
वारिभ्याम् |
वारिभिः |
चतुर्थी |
वारिणे |
वारिभ्याम् |
वारिभ्यः |
पंचमी |
वारिणः |
वारिभ्याम् |
वारिभ्यः |
षष्ठी |
वारिणः |
वारिणो |
वारीणाम् |
सप्तमी |
वारिणि |
वारिणो |
वारिषु |
सम्बोधन |
हे वारि |
हे वारिणी |
हे वारीणि |
इकारान्त पुल्लिंग- पति शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
पतिः |
पती |
पतयः |
द्वितिया |
पतिम् |
पती |
पतीन् |
तृतीया |
पत्या |
पतिभ्याम् |
पतिभिः |
चतुर्थी |
पत्ये |
पतिभ्याम् |
पतिभ्यः |
पंचमी |
पत्युः |
पतिभ्याम् |
पतिभ्यः |
षष्ठी |
पत्युः |
पत्योः |
पतीनाम् |
सप्तमी |
पत्यौ |
पत्योः |
पतिषु |
सम्बोधन |
हे पते |
हे पती |
हे पतयः |
|
इकारान्त पुल्लिंग - भूपति शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
भूपतिः |
भूपती |
भूपतयः |
द्वितिया |
भूपतिम् |
भूपती |
भूपतीन् |
तृतीया |
भूपतिना |
भूपतिभ्याम् |
भूपतिभिः |
चतुर्थी |
भूपतये |
भूपतिभ्याम् |
भूपतिभ्यः |
पंचमी |
भूपते |
भूपतिभ्याम् |
भूपतिभ्यः |
षष्ठी |
भूपतेः |
भूपत्योः |
भूपतीनाम् |
सप्तमी |
भूपतौ |
भूपत्योः |
भूपतिषु |
सम्बोधन |
हे
भूपते |
हे
भूपती |
हे
भूपतयः |
|
इकारान्त पुल्लिंग – सखि शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
सखा |
सखायौ |
सखायः |
द्वितिया |
सखायम् |
सखायौ |
सखीन् |
तृतीया |
सख्या |
सखिभ्याम् |
सखिभिः |
चतुर्थी |
सख्ये |
सखिभ्याम् |
सखिभ्यः |
पंचमी |
सख्युः |
सखिभ्याम् |
सखिभ्यः |
षष्ठी |
सख्युः |
सख्योः |
सखीनाम् |
सप्तमी |
सख्यौ |
सख्योः |
सखिषु |
सम्बोधन |
हे सखे |
हे सखायौ |
हे सखायः |
ईकारान्त
ईकारान्त पुल्लिंग- सखी (सखायमिच्छति,मित्र चाहने वाला) शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
सखा |
सखायौ |
सखायः |
द्वितिया |
सखायम् |
सखायौ |
सख्यः |
तृतीया |
सख्या |
सखीभ्याम् |
सखीभिः |
चतुर्थी |
सख्ये |
सखीभ्याम् |
सखीभ्यः |
पंचमी |
सख्युः |
सखीभ्याम् |
सखीभ्यः |
षष्ठी |
सख्युः |
सख्योः |
सख्याम् |
सप्तमी |
सख्यि |
सख्योः |
सखीषु |
सम्बोधन |
हे सखा |
हे सखायौ |
हे सखायः |
|
ईकारान्त स्त्रीलिंग - नदी शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
नदी |
नद्यौ |
नद्यः |
द्वितिया |
नदीम् |
नद्यौ |
नदीः |
तृतीया |
नद्या |
नदीभ्याम् |
नदीभिः |
चतुर्थी |
नद्यै |
नदीभ्याम् |
नदीभ्यः |
पंचमी |
नद्याः |
नदीभ्याम् |
नदीभ्यः |
षष्ठी |
नद्याः |
नद्योः |
नदीनाम् |
सप्तमी |
नद्याम् |
नद्योः |
नदीषु |
सम्बोधन |
हे नदि |
हे नद्यौ |
हे नद्यः |
उकारान्त
उकारान्त पुल्लिंग- गुरु शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
गुरुः |
गुरु |
गुरवः |
द्वितिया |
गुरुम् |
गुरु |
गुरून् |
तृतीया |
गुरुणा |
गुरुभ्याम् |
गुरुभिः |
चतुर्थी |
गुरवे |
गुरुभ्याम् |
गुरुभ्यः |
पंचमी |
गुरोः |
गुरुभ्याम् |
गुरुभ्यः |
षष्ठी |
गुरोः |
गुर्वोः |
गुरुणाम् |
सप्तमी |
गुरौ |
गुर्वोः |
गुरुषु |
सम्बोधन |
हे गुरो |
हे गुरू |
हे गुरवः |
|
उकारान्त स्त्रीलिंग - धेनु शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
धेनुः |
धेनू |
धेनवः |
द्वितिया |
धेनुम् |
धेनू |
धेनूः |
तृतीया |
धेन्वा |
धेनुभ्याम् |
धेनुभिः |
चतुर्थी |
धेनवे |
धेनुभ्याम् |
धेनुभ्यः |
पंचमी |
धेनोः |
धेनुभ्याम् |
धेनुभ्यः |
षष्ठी |
धेनोः |
धेन्वोः |
धेनूनाम् |
सप्तमी |
धेनौः |
धेन्वोः |
धेनुषु |
सम्बोधन |
हे धेनो |
हे धेनू |
हे धेनवः |
|
उकारान्त नपुंसक लिंग – मधु शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
मधु |
मधुनी |
मधूनि |
द्वितिया |
मधु |
मधुनी |
मधूनि |
तृतीया |
मधुना |
मधुभ्याम |
मधुभिः |
चतुर्थी |
मधुने |
मधुभ्याम् |
मधुभ्यः |
पंचमी |
मधुनः |
मधुभ्याम् |
मधुभ्यः |
षष्ठी |
मधुनः |
मधुनो |
मधूनाम् |
सप्तमी |
मधुनि |
मधुनो |
मधुषु |
सम्बोधन |
हे मधु |
हे मधुनी |
हे मधूनि |
ऊकारान्त
ऊकारान्त पुल्लिंग- स्वयंभू (ब्रह्मा) शब्द |
|||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
स्वयंभूः |
स्वयंभुवौ |
स्वयम्भुवः |
द्वितिया |
स्वयम्भुवम् |
स्वयम्भुवौ |
स्वयम्भुवः |
तृतीया |
स्वयम्भुवा |
स्वयम्भूभ्याम् |
स्वयम्भूभिः |
चतुर्थी |
स्वयम्भुवे |
स्वयम्भूभ्याम् |
स्वयम्भूभ्यः |
पंचमी |
स्वयम्भुवः |
स्वयम्भूभ्याम् |
स्वयम्भूभ्यः |
षष्ठी |
स्वयम्भुवः |
स्वयम्भुवोः |
स्वम्भुवाम् |
सप्तमी |
स्वयम्भुवि |
स्वयम्भुवोः |
स्वयम्भुषु |
सम्बोधन |
हे स्वयम्भूः |
हे स्वयम्भुवौ |
हे स्वयम्भुवः |
|
ऊकारान्त स्त्रीलिंग - वधू (बहू) शब्द |
|
|
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
प्रथमा |
वधूः |
वध्वौ |
वध्वः |
द्वितिया |
वधूम् |
वध्वौ |
वधूः |
तृतीया |
वध्वा |
वधूभ्याम् |
वधूभिः |
चतुर्थी |
वध्वै |
वधूभ्याम् |
वधूभ्यः |
पंचमी |
वध्वाः |
वधूभ्याम् |
वधूभ्यः |
षष्ठी |
वध्वाः |
वध्वोः |
वधूनाम् |
सप्तमी |
वध्वाम् |
वध्वोः |
वधुषु |
सम्बोधन |
हे वधु |
हे वध्वौ |
हे वध्वः |
ऋकारान्त
ऋकारान्त पुंल्लिङ्ग- पितृ (पिता) शब्द |
||||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
|
प्रथमा |
पिता |
पितरौ |
पितरः |
|
द्वितिया |
पितरम् |
पितरौ |
पितृन् |
|
तृतीया |
पित्रा |
पितृभ्याम् |
पितृभिः |
|
चतुर्थी |
पित्रे |
पितृभ्याम् |
पितृभ्यः |
|
पंचमी |
पितुः |
पितृभ्याम् |
पितृभ्यः |
|
षष्ठी |
पितुः |
पित्रोः |
पितृणाम् |
|
सप्तमी |
पितरि |
पित्रोः |
पितृषु |
|
सम्बोधन |
हे पितः |
हे पितरौ |
हे पितरः |
|
|
ऋकारान्त स्त्रीलिंग - मातृ शब्द |
|
||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
|
प्रथमा |
माता |
मातरौ |
मातरः |
|
द्वितिया |
मातरम् |
मातरौ |
मातृन् |
|
तृतीया |
मात्रा |
मतीभ्याम् |
मतिभिः |
|
चतुर्थी |
मात्रे |
मतीभ्याम् |
मतीभ्यः |
|
पंचमी |
मातुः |
मतीभ्याम् |
मतीभ्यः |
|
षष्ठी |
मातुः |
मत्योः |
मतीनाम् |
|
सप्तमी |
मातरि |
मत्योः |
मतिषु |
|
सम्बोधन |
हे मातः |
हे मातरौ |
हे मातरः |
|
|
ऋकारान्त नपुंसक लिंग – दातृ शब्द |
|
||
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुबचन |
|
प्रथमा |
दाता |
दातारौ |
दातारः |
|
द्वितिया |
दातारम् |
दातारौ |
दातृन |
|
तृतीया |
दात्रा |
दातृभ्याम् |
दातृभिः |
|
चतुर्थी |
दात्रे |
दातृभ्याम् |
दातृभ्यः |
|
पंचमी |
दातुः |
दातृभ्याम् |
दातृभ्यः |
|
षष्ठी |
दातुः |
दात्रोः |
दातृणाम् |
|
सप्तमी |
दातरि |
दात्रोः |
दातृषु |
|
सम्बोधन |
हे दातः |
हे दातारौ |
हे दाताराः |
|
ओकारान्त
ओकारान्त पुल्लिंग- गो (बैल)
विभक्ति
एकवचन
द्विवचन
बहुबचन
प्रथमा
गौः
गावौ
गावः
द्वितिया
गाम्
गावौ
गाः
तृतीया
गवा
गोभ्याम्
गोभ्यः
चतुर्थी
गवे
गोभ्याम्
गोभ्यः
पंचमी
गोः
गोभ्याम्
गोभ्यः
षष्ठी
गोः
गवोः
गवाम्
सप्तमी
गवि
गवोः
गोषु
सम्बोधन
हे गौः
हे गावौ
हे गावः
औकारान्त
औकारान्त पुंल्लिङ्ग – ग्लौ (चन्द्रमा)
विभक्ति
एकवचन
द्विवचन
बहुबचन
प्रथमा
ग्लौ
ग्लावौ
ग्लावः
द्वितिया
ग्लावम्
ग्लावौ
ग्लावः
तृतीया
ग्लावा
ग्लौभ्याम्
ग्लैभिः
चतुर्थी
ग्लावे
ग्लौभ्याम्
ग्लौभ्यः
पंचमी
ग्लावः
ग्लौभ्याम्
ग्लौभ्यः
षष्ठी
ग्लावः
ग्लावोः
ग्लावाम्
सप्तमी
ग्लावि
ग्लावोः
ग्लौषु
सम्बोधन
हे ग्लौः
हे ग्लावौ
हे ग्लावः
औकारान्त स्त्रीलिङ्ग – नौ(नाव) शब्द
विभक्ति
एकवचन
द्विवचन
बहुबचन
प्रथमा
नौः
नावौ
नावः
द्वितिया
नावम्
नावौ
नावः
तृतीया
नावा
नौभ्याम्
नौभिः
चतुर्थी
नावे
नौभ्याम्
नौभ्यः
पंचमी
नावः
नौभ्याम्
नौभ्यः
षष्ठी
नावः
नावोः
नावाम्
सप्तमी
नावि
नावोः
नौषु
सम्बोधन
हे नौः
हे नावौ
हे नावः
2 टिप्पणियां:
बहुत सराहनीय कार्य है परन्तु बहुवचन को देखने में समस्या हो रही है
यदि बहुबचन देखने में समस्या हो रही हो तो आप अपने क्रोम ब्राउजर के सेटिंग में जाकर डेक्सटॉप मोड कर लें तो मोबाइल में यह समस्या नहीं रहेगी ।
एक टिप्पणी भेजें