समवर्णिक छन्द (Samavarnik Chhand)
जिसमें गण बनाया जाता है उसे समवर्णिक छन्द कहते हैं।
1 मात्रा वाले छन्द को उक्ता छन्द कहा जाता है।
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2 मात्रा वाले छन्द को अत्युक्ता छन्द कहा जाता है।
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3 मात्रा वाले छन्द को मध्या छन्द कहा जाता है।
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4 मात्रा वाले छन्द को प्रतिष्ठा छन्द कहा जाता है।
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5 मात्रा वाले छन्द को सुप्रतिष्ठा छन्द कहा जाता है।
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6 मात्रा वाले छन्द को
गायत्री
छन्द कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
तनुमध्या |
त्यो स्तस्तनुमध्या (त,य) |
तगण, यगण — तेन प्रविभक्ता, कामं यस्य सा |
तेन प्रविभक्ता, कामं यस्य सा |
शशिवदना |
शशिवदना न्यो (न,य) |
नगण, यगण |
शशिवदनानां वज तरुणीनाम् |
विपुललेखा |
विद्युल्लेखा मो मः (म,म) |
मगण, मगण |
गोपस्त्रीणां मुख्या, विद्युल्लेखा रूपा |
वसुमती |
त्सो चेद्रसुमती (त,स) |
तगण, सगण |
राजीवनेयना, नूनं वसुमती |
7 मात्रा वाले छन्द को
उष्णिक
छन्द कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
उदाहरण-१ |
तगण + सगण + न |
उष्णिक छन्द में ७ मात्रा होती हैं। |
उदितं तेजो, मित्रस्य सूर्यम्। |
8 मात्रा वाले छन्द को
अनुष्टुप
छन्द कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
चित्रपदा |
चित्रपदा यदि भौ गौ (भ,भ,गु,गु) |
भगण, भगण, गुरु, गुरु। |
यामुनसैकत देशे, चेतासि सज्जनता च । |
विद्युन्माला |
मो मो गो गो विद्युन्माला (म म गु गु) |
मगण, मगण, गुरु, गुरु। चार अक्षर पर यति होता है। |
मौनं ध्यानं भूमौ श्य्या |
माणवक |
माणवकं भात्तलगा (भ, त, ल, गु.) |
भगण, तगण, लघु, गुरु। चार-चार वर्णों पर यति होती है। |
मा ण व क क्री डि त कं, |
हंसरुत |
म्नौ गौ हंसरुतमेतत् (म,न,गु,गु) |
मगण, नगण, गुरु, गुरु। पदान्त यति होती है। |
ती रे रा ज ति न दी नां, रम्यं हंसरुतमेतत् |
समानिका |
र्जौ समानिका गलौ च (र,ज,गु,ल) |
रगण, जगण तथा गुरु एवं लघु हो। |
यस्य कृष्ण पाद पद्म, मस्ति हृत्तडागसद्म |
प्रमाणिका |
प्रमाणिका जरौ लगौ (ज,र,ल,गु.) |
जगण, रगण, लघु, गुरु। समानी तथा प्रमाणी छन्द भी कहते हैं। |
नमामि भक्त वत्सलं, कृपालु शील कोमलं । |
9 मात्रा वाले छन्द को
बृहती
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
हलमुखी |
रान्नसाविह हलमुखी (र,न,स) |
रगण, नगण, सगण। तीन तथा छः अक्षरों पर यति होता है। |
आयतं कलहनिरतां, तां स्त्रियं त्यज हलमुखीम् |
भुजगशिशुभृता |
भुजगशिशुभृतां नौ मः (न,न,म) |
नगण, नगण, मगण। सात तथा दो वर्णों पर यति होता है। |
इयमधिकतरं रम्याः, विकचकुवलयश्यामा |
10 मात्रा वाले छन्द को
पंक्ति
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
शुद्धविराट |
म्सा ज्गौ शुद्धविराडिदं मतम् (म,स,ज,गु) |
मगण, सगण, जगण, गुरु। इसमें पदान्त यति होती है। |
विश्वं तिष्ठति कुक्षिकोटरे, वक्त्रेयस्य सरस्वती सदा। |
मयूरसारिणी |
जौं रगौ मयूरसारिणी स्यात् (र,ज,र,गु.) |
रगण, जगण, रगण गुरु। इसमें पदान्त यति होती है। |
या वनान्तराण्युपैतिरन्तुं, या भुजङ्गभोगमुक्तिचिता। |
पणव |
म्नौ ज्गौ चेति पणवनामकम् (म,न,ज,गु.) |
मगण, नगण, जगण, गुरु। प्रति पाँचवे वर्ण पर यति होती है। |
भक्ताः ये शरणमुपागताः, तेषां नौ चिकुरमपि प्रभुः। |
रुक्मवती |
भ्मौ सगयुक्तौ रुक्मवतीयम् (भ,म,स,गु.) |
भगण, मगण, सगण, गुरु। पदान्त यति होती है, इसे चम्पकमाला भी कहते हैं। |
स्वप्नविलासा योगवियोगा, रुक्मवती हा कस्य कृते श्रीः। |
मत्ता |
मत्ता ज्ञेया मभसगयुक्ता (म,भ,स,गु.) |
मगण, भगण, सगण, गुरु। चार तथा छः वर्णों पर यति होती है। |
पीत्वा मत्ता मधु मधुपाली, कालिन्दीये तटवन कुञ्जे । |
मनोरमा |
नरजगैर्भवेन्मनोरमा (न,र,ज,गु.) |
नगण, रगण, जगण, गुरु। पदान्त यति होती है। |
तरणिजा तटे विहारिणी, व्रजविलासिनी विलासितः। |
11 मात्रा वाले छन्द को
त्रिष्टुप
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
इन्द्रवज्रा |
स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः (त,त,ज,गु,गु) |
तगण, तगण, जगण, गुरु, गुरु। इस छन्द के पाद में यति होती है। |
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उपेन्द्रवज्रा |
उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ (ज,त,ज,गु, गु.) |
जगण, तगण, जगण, गुरु, गुरु। इस छन्द के पाद में यति होती है। |
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उपजाति |
उपजाति छन्द इन्द्रवज्रा और उपेन्द्रवज्रा को मिलाकर बनता है |
उपजाति के चौदह भेद होते हैं। विस्तार देखिएगा |
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सुमुखी |
नजजलगैर्गदिता सुमुखी (न,ज,ज,ल,गु.) |
नगण, जगण, जगण, लघु, गुरु, इसमें पाँच और छह पर यति होती है। |
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दोधक |
दोधकवृत्तमिदं भभभाद्गौ (भ,भ,भ,गु,गु.) |
भगण, भगण, भगण, गुरु, गुरु। इसमें पदान्त में यति होती है। |
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शालिनी |
शालिन्युक्ता म्तौ तगौ गोऽब्धिलोकैः |
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वातोर्मी |
वातोर्मीयं कथिता म्भौ तगौ गः । |
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श्री |
बाणरसैः स्याद्भतनगगैः श्रीः |
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भ्रमरविलसित |
म्भौ न्लौ गः स्याद् भ्रमरविलसितम् ।। |
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रथोद्धता |
रान्नराविह रथोद्धता लगौ ।। |
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स्वागता |
स्वागतेति रनभाद् गुरुयुग्मम् |
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वृन्ता |
ननरलगुरुरचिता वृन्ता |
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भद्रिका |
ननरमगुरुभिश्च भद्रिका |
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श्येनिका |
श्येनिका रजौ रलौ गुरुर्यदा |
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मौक्तिकमाला |
मौक्तिकमाला यदि भतनाद्गौ |
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उपस्थित |
उपस्थितमिदं ज्सौ ताद्गकारौ |
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12 मात्रा वाले छन्द को
जगती
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
चन्द्रवर्त्म |
चन्द्रवर्म निगदन्ति रनभसैः |
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वंशस्थ |
जतौ तु वंशस्थमुदीरितं जरौ |
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इन्द्रवंशा |
स्यादिन्द्रवंशा ततजैरसंयुतैः |
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टोटक |
इह तोटकमम्बुधिसै : प्रथितम् |
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द्रुतविलम्बित |
द्रुतविलम्बितमाह नभौ भरौ |
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पुट |
मुनिशरविरतिर्नौ म्यौ पुटोऽयम् |
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प्रमुदितवदना |
प्रमुदितवदना भवेन्नौ च रौ |
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कुसुमविचित्रा |
नयसहितौ न्यौ कुसुमविचित्रा |
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जलोद्धतगति |
रसैर्जसजसा जलोद्धतगति : |
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मौक्तिकदाम |
चतुर्जगणं वद मौक्तिकदाम |
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भुजंगप्रयात |
भुजङ्गप्रयातं भवेद्यैश्चतुर्भिः |
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स्रग्विणी |
रैश्चतुर्भिर्युता स्रग्विणी सम्मता |
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प्रियंवदा |
भुवि भवेन्नभजरैः प्रियंवदा |
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मणिमाला |
त्यौ त्यौ मणिमाला च्छिन्ना गुहवक्त्रैः |
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ललिता |
धीरैरभाणि ललिता तभौजरौ |
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प्रमिताक्षरा |
प्रमिताक्षरा सजससैरुदिता |
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महितोज्जवला |
ननभर सहिता महितोज्ज्वला |
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वैश्वदेवी |
पञ्चाश्वैश्छिन्ना वैश्वदेवी ममौ यौ |
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जलधरमाला |
अब्ध्यष्टाभिर्जलधरमाला म्भौ स्मौ |
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नवमालिका |
इह नवमालिका नजभयैः स्यात् |
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प्रभा |
स्वरशरविरतिर्ननौ रौ प्रभा |
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मालती |
भवति नजावथ मालती जरौ |
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पंचचामर |
जभौ जरौ वदति पञ्चचामरम् |
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अभिनवतामरस |
अभिनवतामरसं नजजाद्यः |
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13 मात्रा वाले छन्द को
अतिजगती
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
क्षमा |
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प्रहर्षिणी |
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अतिरुचिरा |
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मत्तमयूर |
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मञ्जुभाषिणी |
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चन्द्रिका |
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14 मात्रा वाले छन्द को
शक्वरी
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
असम्बाधा |
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अपराजिता |
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प्रहरणकलिता |
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वसन्ततिलका |
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उद्धर्षिणी |
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इन्दुवदना |
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अलोला |
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15 मात्रा वाले छन्द को
अतिशक्वरी
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
शशिकला |
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मणिगुणनिकर |
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मालिनी |
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प्रभद्रक |
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चन्द्रलेखा |
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16 मात्रा वाले छन्द को
अष्टिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
ऋषभगजविलसित |
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वाणिनी |
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17 मात्रा वाले छन्द को
अत्यष्टिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
शिखरिणी |
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पृथ्वी |
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वंशपत्रपतित |
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हरिणी |
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मन्दाक्रान्ता |
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नर्कुटक |
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18 मात्रा वाले छन्द को
धृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
कुसुमलतावेल्लिता |
१० मात्रा × ४ चरण |
यह 10 मात्रा वाला छन्द है। |
डेमो उदाहरण १० |
19 मात्रा वाले छन्द को
अतिधृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
शार्दूूलविक्रीडितम् |
११ मात्रा × ४ चरण |
यह 11 मात्रा वाला छन्द है। |
डेमो उदाहरण ११ |
20 मात्रा वाले छन्द को
कृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
सुवदना |
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वृत्त |
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21 मात्रा वाले छन्द को
प्रकृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
स्रग्धरा |
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22 मात्रा वाले छन्द को
अथाकृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
भद्रक |
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23 मात्रा वाले छन्द को
विकृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
अश्वललित |
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मत्ताक्रीडा |
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24 मात्रा वाले छन्द को
सङ्कृती
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
तन्वी |
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25 मात्रा वाले छन्द को
अतिकृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
क्रौञ्चपदा |
९ मात्रा × ४ चरण |
यह 9 मात्रा वाला छन्द है। |
डेमो उदाहरण ९ |
26 मात्रा वाले छन्द को
उत्कृतिः
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
भुजंगविजृम्भित |
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अपवाह |
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26 से अधिक मात्रा वाले छन्द को
दण्डक
कहा जाता है।
छन्द नाम |
सूत्र |
अर्थ / परिभाषा |
उदाहरण |
उदाहरण-११ |
११ मात्रा × ४ चरण |
यह 11 मात्रा वाला छन्द है। |
डेमो उदाहरण ११ |