प्रतिशोध — महाभारत के 21 अध्यायों पर आधारित मौलिक ग्रंथ
‘प्रतिशोध’ महाभारत पर आधारित एक अनूठा साहित्यिक ग्रंथ है जिसमें 21 अध्यायों के माध्यम से उन घटनाओं को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया गया है जिन्होंने महाभारत युद्ध को जन्म दिया। भीष्म की प्रतिज्ञा, अम्बा का प्रतिशोध, परशुराम का क्रोध, कर्ण और द्रोण की प्रतिज्ञाएँ, द्रौपदी का अपमान, अभिमन्यु की मृत्यु – प्रत्येक घटना महाभारत के मूल स्वरूप को प्रतिशोध की अविरल धारा में बाँधती है।
इस ग्रंथ में घटनाओं को केवल कथा के रूप में नहीं, बल्कि उनके कारण, परिणाम, मानसिक संघर्षों और शौर्य के साथ प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक अध्याय एक स्वतंत्र कथा भी है और सम्पूर्ण महाभारत के संघर्षों का महत्त्वपूर्ण आधार भी।
नीचे दिए गए 21 अध्यायों में क्लिक कर आप सम्पूर्ण ग्रंथ क्रमबद्ध रूप से पढ़ सकते हैं।
➤ प्रतिशोध के सभी अध्याय (21)
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1. राजकुमार शिखण्डी
अम्बा के प्रतिशोध का परिणाम—शिखण्डी का जन्म और उनके जीवन का संघर्ष।
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2. अम्बा और होत्रवाहन
अम्बा की प्रतिज्ञा और होत्रवाहन के साथ जुड़ी घटनाएँ।
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3. महर्षि ऋचीक और महराज गाधि
ऋचीक और गाधि के मध्य उत्पन्न विवाद और प्रतिशोध का कारण।
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4. यमदग्नि और रेणुका
रेणुका के अपमान और यमदग्नि के वध से उपजा संघर्ष।
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5. सहस्त्रबाहु और यमदग्नि
कश्यप कुल और कार्तवीर्य अर्जुन के मध्य प्रतिशोध का आरम्भ।
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6. सहस्त्रबाहु और कामधेनु
कामधेनु की कथा और सहस्त्रबाहु का क्रूर प्रयास।
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7. कश्यप और परशुराम
भूमि, वंश और प्रतिशोध का विस्फोट—परशुराम का निर्णय।
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8. सृंजय और परशुराम
परशुराम और सृंजय की कथा—धर्म, शक्ति और प्रतिशोध।
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9. भीष्म और परशुराम का संग्राम
दो महायोद्धाओं का ऐतिहासिक संघर्ष।
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10. क्षत्रियों को शिक्षा न देने की प्रतिज्ञा
द्रोणाचार्य और शिक्षा नीति पर आधारित महत्वपूर्ण अध्याय।
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11. अपरिहार्य महाभारत
क्यों यह युद्ध टाला नहीं जा सकता था—कारणों का संकलन।
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12. सेनापति का चयन
कौरव सेना में सेनापति नियुक्ति का ऐतिहासिक निर्णय।
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13. महाभारत का युद्ध आरम्भ
युद्ध के प्रारम्भिक क्षणों का रोमहर्षक वर्णन।
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14. भीष्म का (इच्छा-मृत्यु का) कवच
भीष्म की अद्भुत वरदान-शक्ति और युद्ध में उनकी स्थिति।
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15. श्रीकृष्ण द्वारा हथियार उठाना
धर्म की रक्षा हेतु श्रीकृष्ण का पक्षपात-रहित निर्णय।
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16. भीष्म का शिखण्डी से सामना
प्रतिशोध का चरम—भीष्म और शिखण्डी का निर्णायक क्षण।
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17. प्रधान सेनापति–आचार्य द्रोण
आचार्य द्रोण की रणनीतियाँ और प्रतिशोध में उनकी भूमिका।
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18. सेनापति – अंगराज कर्ण
कर्ण का आत्मसम्मान, प्रतिज्ञा और निर्णायक युद्ध।
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19. सेनापति अश्वत्थामा
महाभारत के अंतिम क्षणों का सबसे कठोर अध्याय।
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20. भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को शान्ति-उपदेश
धर्म और राजधर्म का अद्वितीय उपदेश।
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21. भीष्म का महा प्रस्थान
भीष्म की अंतिम यात्रा और प्रतिशोध का पूर्ण विराम।