राजा शुद्रक के समीप चांडालकन्या द्वारा लाए गए शुक ने राजा से अपने विषय में आगे की कथा इस प्रकार बताई - महर्षि जाबिल ने जब अपने शिष्यों को मुझसे संबद्ध जा कथा सुनाई उसे मुझे अपना पूर्वजन्म स्मरण हो आया और मुझे यह ज्ञात हो गया कि मैं ही महामंत्री शुकनास का पुत्र वैशंपायन हूं। जब मेरे पंख निकल आए तब मैं अपने मित्र चंद्रापीड को ढूंढने निकला, किन्तु चांडाल द्वारा पकड़ लिया गया।
चांडाल कन्या द्वारा कथा को पूरी करना -
इसके बाद चांडाल कन्या ने राजा को बताया कि राजा को बताया कि राजा शुद्रक ही चंद्रापीड है। वह स्वयं लक्ष्मी है और वैशंपायन उसका पुत्र है। राजा शुद्रक को अपना पूर्व जन्म याद हो आया। उधर महाश्वेता की कुटी में वसंत छा गया और कादंबरी ने जैसे ही चंद्रापीड के शरीर का आलिंगन किया वह ऐसे जीवित हो उठा जैसे नींद से जागा हो। उसी समय शूद्रक ने भी अपना शरीर त्याग दिया। महाश्वेता की कुटी में कुछ ही क्षण में पुंडरीक अपने मुनिकुमार वाले रूप में प्रकट हुआ और उसका महाश्वेता से मिलन हो गया। सर्वत्र आनंद छा गया।
इस प्रकार इस कथा का नायक है चंद्रापीड और नायिका है कादंबरी। सहनायक और सहनायिका हैं - पुंडरीक और महाश्वेता। यह तीन जन्मों को मिली जुली कहानी है,जिसका अधिकांश भाग शुक द्वारा महर्षि ज़ाबिल की कथा के अनुसार शुद्रक से कहा जाता है।
कादंबरी के आरंभ में बाण ने बीस पद्यों में मंगलाचरण सज्जन की प्रशंसा और दुर्जन की निन्दा, अपने वंश के पूर्वजों का आलंकारिक एवं मनोरम वर्णन, तथा कथा के गुणों का उल्लेख किया है। चंद्रापीड की तांबूल करक वाहिनी पत्रलेखा, जो चंद्रापीड के चले आने पर भी कादंबरी के पास रह गई थी, लौटकर चंद्रापीड की राजधानी आती है इस वर्णन के साथ ही कादंबरी कथा का पूर्वभाग समाप्त होता है।
Hari Hari...how can l download sindhuvadavritam ? Thank You
जवाब देंहटाएंHari Hari...how can l download sindhuvadavritam ? Thank You
जवाब देंहटाएंआप इसे पढ़ सकते हैं ।
जवाब देंहटाएंराजा शुद्रक के समीप चांडालकन्या द्वारा लाए गए शुक ने राजा से अपने विषय में आगे की कथा इस प्रकार बताई - महर्षि जाबिल ने जब अपने शिष्यों को मुझसे संबद्ध जा कथा सुनाई उसे मुझे अपना पूर्वजन्म स्मरण हो आया और मुझे यह ज्ञात हो गया कि मैं ही महामंत्री शुकनास का पुत्र वैशंपायन हूं। जब मेरे पंख निकल आए तब मैं अपने मित्र चंद्रापीड को ढूंढने निकला, किन्तु चांडाल द्वारा पकड़ लिया गया।
जवाब देंहटाएंचांडाल कन्या द्वारा कथा को पूरी करना -
इसके बाद चांडाल कन्या ने राजा को बताया कि राजा को बताया कि राजा शुद्रक ही चंद्रापीड है। वह स्वयं लक्ष्मी है और वैशंपायन उसका पुत्र है। राजा शुद्रक को अपना पूर्व जन्म याद हो आया। उधर महाश्वेता की कुटी में वसंत छा गया और कादंबरी ने जैसे ही चंद्रापीड के शरीर का आलिंगन किया वह ऐसे जीवित हो उठा जैसे नींद से जागा हो। उसी समय शूद्रक ने भी अपना शरीर त्याग दिया। महाश्वेता की कुटी में कुछ ही क्षण में पुंडरीक अपने मुनिकुमार वाले रूप में प्रकट हुआ और उसका महाश्वेता से मिलन हो गया। सर्वत्र आनंद छा गया।
इस प्रकार इस कथा का नायक है चंद्रापीड और नायिका है कादंबरी। सहनायक और सहनायिका हैं - पुंडरीक और महाश्वेता। यह तीन जन्मों को मिली जुली कहानी है,जिसका अधिकांश भाग शुक द्वारा महर्षि ज़ाबिल की कथा के अनुसार शुद्रक से कहा जाता है।
कादंबरी के आरंभ में बाण ने बीस पद्यों में मंगलाचरण सज्जन की प्रशंसा और दुर्जन की निन्दा, अपने वंश के पूर्वजों का आलंकारिक एवं मनोरम वर्णन, तथा कथा के गुणों का उल्लेख किया है। चंद्रापीड की तांबूल करक वाहिनी पत्रलेखा, जो चंद्रापीड के चले आने पर भी कादंबरी के पास रह गई थी, लौटकर चंद्रापीड की राजधानी आती है इस वर्णन के साथ ही कादंबरी कथा का पूर्वभाग समाप्त होता है।