अभिज्ञानशाकुन्तलम् ABHIGYANSHAKUNTLAM लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अभिज्ञानशाकुन्तलम् ABHIGYANSHAKUNTLAM लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

अभिज्ञान शाकुन्तलम् -द्वितीय अंक

 कामं प्रिया न सुलभा मनस्तु तद्भावदर्शनाश्वासि ।अकृतार्थेऽपि मनसिजे रतिमुभयप्रार्थना कुरुते ।। १ ।।अन्वयः - प्रिया कामम्, न सुलभा, तु मनः तद्भावदर्शनाश्वासि, मनसिजे,अकृतार्थेऽपि,सउभयप्रार्थना, रतिं कुरुते । तद्भावदर्शनाश्वासि, मनसिजे,अकृतार्थेऽपि, उभयप्रार्थना, रतिं कुरुते ।व्याख्या - गुरुजनासमीपवर्तित्वात्, परतन्त्रत्वाच्च शकुन्तलायाः प्राप्ति:...
Share:

शार्ङरव एवं शारद्वत का चरित्र-चित्रण (हिन्दी एवं संस्कृत में)

शार्ङ्गरव तथा शारद्वत का चरित्र-चित्रण अभिज्ञान शाकुन्तल के ये दोनों पात्र महर्षि कण्व के शिष्य हैं। ये दोनों वयस्क प्रतीत होते हैं इसीलिए महर्षि इन्हें पुकारते हुए इनके नाम के आगे मिश्र शब्द का प्रयोग करते हैं। कण्व महर्षि के ही शब्दों में- 'क्व नु ते शाङ्ग रव शारद्वत मिश्राः ?' किन्तु इन दोनों में भी शाङ्गरव बड़े प्रतीत होते हैं और शारद्वत छोटे। इसीलिए शाङ्ग...
Share:

अनुसूया एवं प्रियंवदा का चरित्र-चित्रण (हिन्दी एवं संस्कृत में)

अनसूया तथा प्रियम्वदा का चरित्रचित्रण   अनसूया तथा प्रियम्वदा शकुन्तला की प्रियसखियाँ हैं। उन तीन के रूप तथा अवस्था में विशेष अन्तर नहीं है, इसीलिए राजा जब उन्हें देखता है तो कहता है-समानवयोरूपरमणीयं सौहार्दमत्र भवतीनाम् ।' इन दोनों में अनसूया की अवस्था अधिक प्रतीत होती है, इसी लिए शकुन्तला के अपने पतिगृह जाने पर महर्षि कण्व पहले अनसूया को और...
Share:

विदूषक का चरित्र-चित्रण (हिन्दी एवं संस्कृत में)

विदूषक का चरित्र-चित्रण अभिज्ञान शाकुन्तल के विदूषक का नाम माधव्य है। यह राजा का मित्र भी . राजा इससे हर प्रकार की बातें करता है। शकुन्तला का प्रसङ्ग उठने पर राजा विदूषक से कहते हैं-'ससे माधव्य ! अनाप्तचक्षुःफलोऽसि ।' यह ब्राह्मग जाति का तथा उम्र में राजा से छोटा है, इसीलिए वह अपने को राजा का अनुज तथा युवराज भी कहता है। इसके हाथ में विद्यमान डंडा...
Share:

कण्व का चरित्र-चित्रण (हिन्दी एवं संस्कृत में)

हिन्दी और संस्कृत दोनों  मेंकण्व का चरित्र-चित्रण1.कुलपति कण्व- महर्षि कण्व अभिज्ञान शाकुन्तल के तपस्वी पात्रों में अन्यतम हैं। ये तपस्वियों के गुरु तथा आश्रम के कुलपति हैं । जैसा कि वैखानस ने कहा भी है- 'एष चास्माद्गुरोः कण्वस्य कुलपतेः साधिदैवत एव शकुन्तलयानुमालिनीतीरमाश्रमो दृश्यते । कुलपति के लक्षण में कहा गया है कि-दश हजार मुनियों का अन्नपानादि...
Share:

शास्त्री 3 एवं 4th सेमे. पुस्तक(BOOKS)

आचार्य प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर -पाठ्यपुस्तक

आचार्य तृतीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर -पाठ्यपुस्तक

पूर्वमध्यमा प्रथम (9)- पाठ्यपुस्तक

पूर्वमध्यमा द्वितीय (10) पाठ्यपुस्तक

समर्थक और मित्र- आप भी बने

संस्कृत विद्यालय संवर्धन सहयोग

संस्कृत विद्यालय संवर्धन सहयोग
संस्कृत विद्यालय एवं गरीब विद्यार्थियों के लिए संकल्पित,

हमारे बारे में

मेरा नाम चन्द्रदेव त्रिपाठी 'अतुल' है । सन् 2010 में मैने इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज से स्नातक तथा 2012 मेंइलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही एम. ए.(हिन्दी) किया, 2013 में शिक्षा-शास्त्री (बी.एड.)। तत्पश्चात जे.आर.एफ. की परीक्षा उत्तीर्ण करके एनजीबीयू में शोध कार्य । सम्प्रति सन् 2015 से श्रीमत् परमहंस संस्कृत महाविद्यालय टीकरमाफी में प्रवक्ता( आधुनिक विषय हिन्दी ) के रूप में कार्यरत हूँ ।
संपर्क सूत्र -8009992553
फेसबुक - 'Chandra dev Tripathi 'Atul'
इमेल- atul15290@gmail.com
इन्स्टाग्राम- cdtripathiatul

यह लेखक के आधीन है, सर्वाधिकार सुरक्षित. Blogger द्वारा संचालित.