2. अम्बा और होत्रवाहन
अम्बा राजर्षि के आश्रम पर आकर रहने लगी। अपने नाना के साथ रहते हुए अम्बा जब प्रकृतिस्थ हुई तो एक दिन उसने अपने नाना से जिज्ञासा प्रगट की कि मैं भगवान परशुराम के विषय में बहुत ही कम जानती हूँ, मेरी जानकारी के अनुसार वे अत्यंत ही क्रोधी एवं क्षत्रिय संहारक ऋषि हैं। उन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर दिया। मुझे आश्चर्य है कि वे आपके शुभचिंतक हैं। इसलिए कृपया मुझे भगवान परशुराम के विषय में आद्योपान्त जानकारी देकर मेरी जिज्ञासा शांत करें।
अम्बा के कौतूहल को समझकर राजर्षि होत्रवाहन ने परशुराम के कुल-गोत्र सहित उनके पावन चरित्र का वर्णन करना प्रारंभ किया- भगवान परशुराम अवतारी पुरुष हैं। उनका किसी से न वैमनस्य है और न वे किसी से द्वेष ही करते हैं। वे प्रचंड तपस्वी एवं उदात्त गुणों से अभिमण्डित हैं। गो-ब्राम्हण एवं सत्पुरुषों के उत्कर्ष एवं दुष्टों के दलन हेतु ही उनका अवतार हुआ है। दैत्यों ने क्षत्रिय राजाओं के घर छद्म रूप से जन्म लेकर मानवता को जब कलंकित करना प्रारंभ किया तो चराचर ईश ने स्वयं ही भगवान परशुराम के रूप में पृथ्वी से आतताइयों का सर्वनाश करने के लिए अवतार ग्रहण किया। हैहयवंशी सम्राट असुराधिप सहसत्रार्जुन ने परशुराम के पिता यमदग्नि की कामधेनु का अपहरण करके अक्षम्य अपराध किया था। इस कारण उसका वध करके परशुराम ने कामधेनु को वापस लाकर पिता को सौंप दिया। तपस्वी मुनि यमदग्नि ने नृप-संहार का दोषी बताकर भार्गव को संपूर्ण तीर्थों का सेवन करके पाप मुक्ति का मार्ग दर्शन किया। पितृभक्ति के अद्वितीय उदाहरण भगवान भार्गव ने अशेष तीर्थाटन करके प्रायश्चित किया। इसी प्रकरण में अपनें दूतों से परशुराम के आश्रम पर न रहने के समाचार से आह्लादित सहस्त्रबाहु के आततायी पुत्रों ने यमदग्नि को मार डाला। परशुराम ने इसी को निमित्त बनाकर संपूर्ण दुष्ट क्षत्रिय राजाओं का विनाश कर डाला। वे न तो क्षत्रियद्रोही हैं और न हीं निपट क्रोधी। उनका जन्म उत्तम भृगुवंश में हुआ है। महर्षि भृगु ब्रह्मा के मानस-पुत्र थे। वे अत्यंत तपस्वी एवं देवताओं द्वारा समादृत थे। महर्षि च्यवन और दानवों के गुरु शुक्राचार्य जैसे महनीय आचार्यों के वंशज थे। इनकी लंबी वंश-परंपरा है। मैं विस्तार के भय से सबका वृत्तान्त तुम्हें नहीं बताना चाहता। तुम्हारी जानकारी के निमित्त मैं भगवान भार्गव के पितामह महर्षि ऋचीक के सम्बन्ध में बताना चाहता हूँ। तुम स्वयं ही जान जाओगी कि किस महिमामण्डित कुल से इनका सम्बन्ध है।
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