अपना अपना भाग्य — जैनेन्द्र
यहाँ उस कहानी का प्रारम्भिक अंश प्रदर्शित होगा। आप चाहें तो इस पैराग्राफ को बाद में अपनी वास्तविक सामग्री से बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए — यह कथा मानव जीवन के भाग्य, कर्म और संयोग की सूक्ष्म व्याख्या प्रस्तुत करती है।
जैनेन्द्र कुमार की यह रचना भारतीय कथा साहित्य में मनोवैज्ञानिक दृष्टि और आत्मपरक शैली के लिए प्रसिद्ध है। लेखक ने इसमें पात्रों के अंतरंग संघर्ष और जीवन की अनिश्चितताओं को गहराई से उकेरा है।
आप यहाँ अपनी तीसरी अनुच्छेद की सामग्री रख सकते हैं — जो कथा का चरम या निष्कर्ष दर्शाती हो। यह स्थान केवल डेमो के रूप में दिया गया है ताकि पूरा लेआउट ब्लॉग पोस्ट की तरह सही दिखे।
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