हिंदी कहानी का विकास

हिंदी कहानी का उद्भव और विकास पर एक सारगर्भित निबंध लिखिए?
 अथवा
आधुनिक हिंदी कहानी का क्रमिक इतिहास प्रस्तुत कीजिए?
 अथवा
 हिंदी कहानी का उद्भव और विकास पर एक विवेचनात्मक टिप्पणी लिखिए?
उत्तर- हिंदी कहानी का उद्भव एवं विकास।
आधुनिक हिंदी कहानी का आरंभिक बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ से होता है सन 1930 में सरस्वती मासिक पत्रिका के प्रकाशन से आधुनिक कहानी का प्रारंभ हुआ कहानी बहुत कुछ जीवन के समीप आ गई उसमें से अलौकिक ता देवी संयोग अथवा आश्चर्य जनक घटनाओं की कमी होने लगी कहानियों में सांकेतिक था और संक्षिप्त था आने लगी अब कहानी का उद्देश्य उपदेश मनोरंजन तू हल अथवा घटना वह चित्र का चित्रण मात्र नर्क और मानव जीवन की स्वाभाविक अभिव्यक्ति रह गया कहानी में विषयों और शिल्प विज्ञान दोनों ही दृष्टि ओं में नवीनता आ गई।
हिंदी कहानी का विकास- हिंदी कहानी का विकास निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1. पृष्ठभूमि काल -सन उन्नीस सौ से पहले
2. प्रथम उत्थान काल -सन उन्नीस सौ से 1910 तक
3. द्वितीय उत्थान काल सन 1911 से 1929 तक।
4. तृतीय उत्थान काल 1930 से अब तक
पृष्ठभूमि काल सन उन्नीस सौ से पहले इस काल की कहानियों का महत्व इसलिए है कि इन्होंने पाठकों में कहानी पढ़ने की रुचि जागृत की देवकीनंदन खत्री की जासूसी कथाओं को पढ़ने के लिए बहुत से लोगों ने हिंदी सीखी उनकी चंद्रकांता संतति अपनी अपनी अद्भुत कल्पना शक्ति और कला विन्यास के कारण आज भी पाठकों को आकर्षित करती है इसी समय किशोरी लाल गोस्वामी ने कई कहानियां लिखी आचार्य रामचंद्र शुक्ल इन्हीं को हिंदी का प्रथम कहानीकार मानते हैं तीसरे प्रमुख कथाकार श्री गोपाल राम गहमरी में भी अपनी जासूसी कथाओं से हिंदी पाठकों की रुचि को आकर्षित किया आपके द्वारा जासूस पत्र में मौलिक अधिकार भी प्रकाशित होती थी इस प्रकार छोटी कहानियां गल्फ अक्शाई क्या है पहले पहल हिंदी में बंगला से आई इससे कुछ पहले श्री राधाचरण गोस्वामी सौदामिनी नामक नाटिका छोटी सी कहानी बांग्ला से अनूदित कर प्रस्तुत कर चुके थे इस युग की कहानियों का हिंदी कहानी ना तो कोई विकास हुआ और न कोई उसका भाग ही बना किंतु इतना अवश्य है कि इन कहानियों ने हिंदी कहानी की पृष्ठभूमि तैयार की।
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मेरा नाम चन्द्रदेव त्रिपाठी 'अतुल' है । सन् 2010 में मैने इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज से स्नातक तथा 2012 मेंइलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही एम. ए.(हिन्दी) किया, 2013 में शिक्षा-शास्त्री (बी.एड.)। तत्पश्चात जे.आर.एफ. की परीक्षा उत्तीर्ण करके एनजीबीयू में शोध कार्य । सम्प्रति सन् 2015 से श्रीमत् परमहंस संस्कृत महाविद्यालय टीकरमाफी में प्रवक्ता( आधुनिक विषय हिन्दी ) के रूप में कार्यरत हूँ ।
संपर्क सूत्र -8009992553
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