रामाश्रयी शाखा (राम काव्य) - इतिहास, प्रवित्तियाँ, विशेषताएँ ।
प्रेमाश्रयी शाखा (सूफी काव्य) - इतिहास, प्रवित्तियाँ, विशेषताएँ ।
प्रेमाश्रयी शाखा (सूफी काव्य) - 1.विशेषताएँ ।
ज्ञानाश्रयी शाखा (सन्त काव्य)- इतिहास, प्रवित्तियाँ, विशेषताएँ ।
ज्ञानाश्रयी शाखा (सन्त काव्य)- 1.विशेषताएँ ।
1. सभी सन्त निर्गुण ईश्वर में विश्वास रखते हैं। निर्गुण ईश्वर ही घट-घट में व्याप्त है और एकमात्र ज्ञानगम्य है। वह अविगत है उसे बाहर ढूढ़ने की आवश्यकता नहीं है। भक्ति की जगह ज्ञान को अधिक महत्व दिया गया है।
2. सन्त कवियों ने अवतारवाद एवं बहुदेववाद का निर्भीकतापूर्वक खण्डन किया। शंकर का अद्वैतवाद एवं इस्लाम पंथ का एकेश्वरवाद इनकी कविताओं के मूल में है।
3. सभी सन्त कवियों ने गुरु को ईश्वर से भी अधिक महत्व दिया, कबीरदास जी का मानना था कि रामकृपा तभी होती है जब गुरु की कृपा होती है।
4. समस्त सन्त कवियों ने जाँति-पाँति, वर्ग-भेद,ऊँच-नीच,छुआछूत, एवं हिन्दू मुसलमान का प्रबल विरोध किया। हिन्दू -मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए सामान्य भक्तिमार्ग की प्रतिष्ठा की।
5. सिद्धों एवं नाथपं थियों से प्रभावित होकर प्रायः सभी सन्त कवियों ने रूढ़ियों एवं आडम्बरों का विरोध किया, मूर्तिपूजा, तीर्थ-व्रत, हज-नमाज, रोजा सहित सभी बाह्याडम्बरों का कबीरदास जी ने डटकर विरोध किया है।
6. प्रेम और विरहानुभूति की अभिव्यक्ति सन्तकाव्य की प्रमुख विशेषता है। इस काव्य में अलौकिक प्रेम की अभिव्यंजना है। प्रणयानुभूति के क्षेत्र में पहुँचकर ये खण्डन-मण्डन की प्रवृत्ति को भूल जाते हैं।
रीतिकाल- इतिहास, प्रवृत्तियाँ, विशेषताएँ, अन्य
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