शिशुपालवधम्- प्रथम सर्ग- संस्कृत ससन्दर्भ व्याख्या,अन्वय हिन्दी अर्थ सहित

चन्द्र देव त्रिपाठी 'अतुल'
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शिशुपालवधम् कवर
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-01
श्रियः पतिः श्रीमति शासितुं जगज्जगन्निवासो वसुदेवसद्मनि । वसन् ददर्शावतरन्तमम्बराद् हिरण्यगर्भाङ्गभुवं मुनिं हरिः ॥ 1॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-02
गतं तिरश्चीनमनूरुसारथेः प्रसिद्धमूर्ध्वं ज्वलनम हविर्भुजः । पतत्यधो धाम विसारि सर्वतः किमेतदित्याकुलमीक्षितं जनैः ॥ २ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-03
चयस्त्विषामित्यवधारितं पुरस्ततः शरीरिति विभाविताकृतिम् । विभुर्विभक्तावयवं पुमानिति क्रमादमुं नारद इत्यबोधि सः ॥ ३ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-04
नवानधोऽधो बृहतः पयोधरान्‌ समूढकर्पूरपरागपाण्डुरम्‌ । क्षणं क्षणोत्क्षिप्तगजेन्द्रकृत्तिना स्फुटोपमं भूतिसितेन शंभुना ॥ ४ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-05
दधानमम्भोरुहकेसरद्युती र्जटाः शरच्चन्द्रमरीचिरोचिष‌म्‌ । विपाकपिङ्गास्तुहिनस्थलीरुहो धराधरेन्द्रं व्रततीततीरिव ॥ ५ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-06
पिशङ्गमौञ्जीयुजमर्जुनच्छविं वसानमेणाजिनमञ्जनद्युति । सुवर्णसूत्राकलिताधराम्बरां विडम्बयन्तं शितिवाससस्तनुम्‌ ॥ ६ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-07
विहङ्गराजाङ्गरुहैरिवाततै र्हिरण्यमयोर्वीरुहवल्लितन्तुभिः । कृतोपवीतं हिमशुभ्रमुच्चकै र्घनं धनान्ते तडितां गुणैरिव ॥ ७ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-08
निसर्गचित्रोज्ज्वलसूक्ष्मपक्ष्म्णा लसद्बिसच्छेदसिताङ्गसङ्गिना । चकासतं चारूचमूरुचर्मणा कुथेन नागेन्द्रमिवेन्द्रवाहनम्‌ ॥ ८ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-09
अजस्रमास्फालितवल्लकीगुण क्षतोज्ज्वलांगुष्ठनखांशुभिन्नया । पुरः प्रवालैरिव पूरितार्द्धया विभान्तमच्छस्फटिकाक्षमालया ॥ ९ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-10
रण्द्भिराघट्टनया नभस्वतः पृथग्विभिनाश्रुतिमण्डलैः स्वरैः । स्फुटीभवद्ग्रामविशेषमूर्च्छनामवेक्षमाणं महतीं मूहुर्मूहुः ॥ १० ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-11
निवर्त्य सो नुव्रजतः कृतानतीनतीन्द्रियज्ञाननिधिर्नभःसदः । समासदत्‌ सादितदैत्यसम्पदः पदं महेन्द्रालयचारु चक्रिणः ॥ ११ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-12
पतन्‌ पतङ्गप्रतिमस्तपोनिधिः पुरो स्य यावन्न भुवि व्यलीयत । गिरेस्तडित्वानिव तावदुच्चकैर्जवेन पीठादुदतिष्ठदच्युतः ॥ १२ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-13
अथ प्रयत्नोन्नमितानमत्फणैर्धृते कथंचित्फणिनां गणैरधः । न्यधायिषातामभिदेवकीसुतं सुतेन धातुश्चरणौ भुवस्तले ॥ १३ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-14
तमर्घ्यमर्घ्यादिकयादिपूरुषः सपर्यया साधु स पर्य्यपूपुजत्‌ । गृहानुपैतुं प्रणयादभीप्सवो भवन्ति नापुण्यकृतां मनीषिणः ॥ १४ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-15
न यावदेतावुदपश्यदुत्थितौ जनस्तुषारासाराञ्जनपर्वताविव । स्वहस्तदत्ते मुनिमास्ने मुनि श्चिरंतनस्तावदभिन्यवीविशत्‌ ॥ १५ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-16
महामहानीलशिलारुचः पुरो निषेदिवान्‌ कंसकृषः स विष्टरे । श्रितोदयाद्रेरभिसायकमुच्च्कै रचूचुरच्च्न्द्रमसो भिरामताम्‌ ॥ १६ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-17
विधाय तस्यापचितिं प्रसेदुषः प्रकाममप्रीयत यज्वनां प्रियः । ग्रहीतुमार्यान्‌ परिचर्यया मूहुर्महानुभावा हि नितान्तमर्थिनः ॥ १७ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-18
अशेषतीर्थीपहृताः कमण्डलोर्निधाय पाणावृषिणाभ्युदीरिताः । अधौधविध्वंसविधौ पटीयसीर्नतेन मूर्ध्ना हरिरग्रहीदपः ॥ १८ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-19
स काञ्चने यत्र मुनेरनुज्ञया नवाम्बुदश्यामवपुर्न्यविक्षत । जिघाय जम्बूजनितश्रियः श्रियं सुमेरुश्रुङ्गस्य तदा तदासनम्‌ ॥ १९ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-20
स तप्तकार्तस्वरभास्वराम्बरः कठोरताराधिपलाञ्छनच्छविः । वोदोद्युते वाडवजातवेदसः शिखाभिराश्लिष्ट इवाम्भसां निधिः ॥ २० ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-21
स्वकान्तया कान्तिरिवाधिराजिता समुद्यदुज्जृम्भितकौस्तुभश्रिया । रराज राराजसुतप्रियंवदः श्रियो विधातारमिवात्मनस्तनौ ॥ २१ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-22
सशक्रगन्धर्वसरिद्वनौकसामुदारशोभं निजमासनं ततः । सपर्यया ब्रह्मसुतः प्रपद्यते जगत्पतिं जन्मसु जन्मसु स्थितम्‌ ॥ २२ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-23
स एवमास्ते स्म महात्मभिर्वृतः सहस्रनेत्रादिभिरम्बराचरैः । वपुः परीतं मकरैश्चतुर्भिरद्रिभिः समुद्रोऽयमिवाविकम्पनः ॥ २३ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-24
सदैव सान्द्राभरणाम्बरश्रियो विचित्रमाल्यन्मदगन्धवायुभिः । सुराङ्गनानर्तितपल्लवाङ्घ्रिपः पपात लीलाः श्रुतिसंगताः किल ॥ २४ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-25
नताङ्गनानर्तितदीर्घलोचनः सगर्वगर्वारवमुद्वमद्वृषा । यथा यथा चारु चकार चेष्टितं तथा तथा तेन ववन्दुरामराः ॥ २५ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-26
अलक्ष्यलक्ष्मीः परमार्थलक्षितः सशेषलोकः सविलासलोकनः । निरस्तमायो निरुपाधिकारणः सरेणुरेखेव रराज माधवः ॥ २६ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-27
ततः समुत्थाय स विश्वभावनः प्रजाभिरामाभिरभिष्टुतः सदा । गिरां निधानेन गिरां निधिं हरिः स्तुतिं मुनिं तं मुनिराददात्‌ किल ॥ २७ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-28
जगाद चास्मै स स यज्ञसाधनं यथा पुरा प्राप्य तदास्य कौशलम्‌ । अशेषसिद्धिप्रभवं तदद्भुतं पुरा पुराणप्रवरः प्रचोदितः ॥ २८ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-29
य एष विश्वस्य वचांसि बिभ्रतः श्रियः पतेः पादपद्मार्चनानि च । स एव भक्त्या हरिमर्चयन्‌ मुनिः पुरः पुरस्ताच्चकरे महामतिः ॥ २९ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-30
इति स्तुतो देवसुतैः स देवकीसुतो हरिः प्रीतिमवान्‌ बभूव । ततो महायोगिनमभ्यनन्दद्वचोभिरमृताभिरिवाम्बुराशिः ॥ ३० ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-31
इति ब्रुवन्तं तमुवाच स व्रती न वाच्यमित्थं पुरुषोत्तम त्वया । त्वमेव साक्षात्करणीय इत्यतः किमस्ति कार्य्यं गुरु योगिनामपि ॥ ३१ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-32
उदीर्णरागप्रतिरोधकं जनैरभीक्ष्णमक्षुण्णतयातिदुर्गमम्‌ । उपेयुषो मोक्षपथं मनस्विनस्त्वमग्रभूमिर्निपायसंश्रया ॥ ३२ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
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शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-33
उदासितारं निगृहीतमानसैर्गृहीतमध्यात्मदृशा कथंचन । बहिर्विकारं प्रकृतेः पृथग्विदुः पुरातनं त्वां पुरूषं पुराविदः ॥ ३३ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-34
निवेशयामासिथ हेलयोद्धतं फणाभृतां छाद्नमेकमोकसः । जगत्त्रयैकस्थपतिस्त्वमुच्चकैरहीश्वरस्तम्भशिरःसु भूतलम्‌ ॥ ३४ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-35
अनन्यगुर्व्यास्तव केन केवलः पुराणमूर्तेर्महिमावगम्यते । मनुष्यजन्मापि सुरासुरान्‌ गुणैर्भवान्‌ भवेच्छेदकरैः करोत्यधः ॥ ३५ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-36
लघूकरिष्यन्नतिभारभङ्गुराममूं किल त्वं त्रिदिवादवातरः । उदूडलोकत्रितयेन सांप्रतं गुरूर्धरित्री क्रियतेतरां त्वया ॥ ३६ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-37
निजौजसोज्जासयितुं जगद्द्रुहामुपाजिहीथा न महीतलं यदि । समाहितैरप्यनिरूपितस्ततः पदं दृशः स्याः कथमीश मादृशाम्‌ ॥ ३७ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-38
उपप्लुतं पातुमदो मदोद्धतैस्त्वमेव विश्वंभर विश्वमीशिषे । ऋते रवेः क्षालयितुं क्षमेत कः क्षपातमस्काण्डमलीमसं नभः ॥ ३८ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
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प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-39
करोति कंसादिमहीभृतां वधाज्जनो मृगाणामिव यत्त्व स्तवम्‌ । हरेर्हिरण्याक्षपुरःसरासुरद्‍विपद्‍विषः प्रत्युत सा तिरस्क्रिया ॥ ३९ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-40
प्रवृत एव स्वयमुञ्झितश्रमः क्रमेण पेष्टुं भुवनद्विषामसि । तथापि वाचालतया युनक्ति मां मिथस्त्वदाभाषणलोलुभं मनः ॥ ४० ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-41
तदिन्द्रसंदिष्टमुपेन्द्र यद्वचः क्षणं मया विश्वजनीनमुच्यते । समस्तकार्येषु गतेन धुर्यतामहिद्‍विषस्तद्भवता निशम्यताम्‌ ॥ ४१ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-42
अभूदभूमिः प्रतिपक्षजन्मनां भियां तनूजस्तपनद्युतिर्दितेः । यमिन्द्रशब्दार्थनिसूदनं हरेर्हिरण्यपूर्वं कशिपुं प्रचक्षते ॥ ४२ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-43
समत्सरेणासुर इत्युपेयुषा चिराय नाम्नः प्रथमाभिधेयताम्‌ । भवस्य पूर्वावतारस्तरस्विना मनःसु येन द्युसदां व्यधीयत ॥ ४३ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-44
दिशामधीशांश्चतुरो यतः सुरानपास्य तं रागहृताः सिषेविरे । अवापुरारभ्य ततश्चला इति प्रवादमुच्चैरयशस्करं श्रियः ॥ ४४ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-45
पुराणि दुर्गाणि निशातमायुधं बलानि शूराणि घनाश्च कञ्चुकाः । स्वरूपशोभैकगुणानि नाकिनां गणैस्तमाशङ्क्य तदादि चक्रिरे ॥ ४५ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
टिप्पणी
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-46
स समचरिष्णुर्भुवनान्तराणि यां यदृच्छयाशिश्रियदाश्रयः श्रियः । अकारि तस्यै मुकुटोपलस्खलत्करैस्त्रिसं।ध्यं त्रिदशैर्दिशे नमः ॥ ४६ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।div>
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।div>
प्रसङ्ग
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व्याख्या
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टिप्पणी
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-47
सटच्छटाभिन्नधनेन बिभ्रता नृसिंह सैंहीमतनुं तनुं त्वया । स मुग्धकान्तास्तनसङ्गभङ्गुरैरुरोविदारं प्रतिचस्करे नखैः ॥ ४७ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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व्याख्या
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टिप्पणी
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-48
विनोदनिच्छन्नथ दर्पजन्मनो रणेन कण्ड्वास्त्रिदशैः समं पुनः । स रावणो नाम निकामभीषणं बभूव रक्षः क्षतरक्षणं दिवः ॥ ४८ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
प्रसङ्ग
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
व्याख्या
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टिप्पणी
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-49
प्रभुर्बुभूषुर्भवनत्रयस्य यः शिरो तिरागाद्दशमं चिकर्तिषुः । अतर्कयद्विघ्नमिवेष्टसाहसः प्रसादमिच्छासदृशं पिनाकिनः ॥ ४९ ॥
सन्दर्भ
शीघ्र ही प्रकाशित होगा।
अन्वय
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प्रसङ्ग
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व्याख्या
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टिप्पणी
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-50
समुत्क्षिपन्‌ यः पृथिवीभृतां वरं वरप्रदानस्य चकार शूलिनः । त्रसत्तुषाराद्रिसुताससंभ्रमस्वयंग्रहाश्लेषमुखेन निष्क्रयाम्‌ ॥ ५० ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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व्याख्या
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टिप्पणी
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-51
पुरीमवस्कन्द लुनीहि नन्दनं मुषाण रत्नानि हरामराङ्गनाः । विगृह्य चक्रे नमुचिद्‍विषा वशी य इत्थनस्वास्थ्यमहर्दिवं दिवः ॥ ५१ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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व्याख्या
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-52
सलीलयातानि न भर्तुरभ्रमोर्न चित्रमुच्चैःश्रवसः पदक्रमम्‌ । अनुद्रुतः संयति येन केवलं बलस्य शत्रुः प्रशशंस शीघ्रताम्‌ ॥ ५२ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-53
अश्क्नुवन्‌ सोढुमधीरलोचनः सहस्ररश्मेरिव यस्य दर्शनम्‌ । प्रविश्य हेमाद्रिगुहागृहान्तरं निनाय बिभ्यद्‌ दिवसानि कौशिकः ॥ ५३ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-54
बृहच्छिलानिष्ठुरकण्ठघट्टनाविकीर्णलोलाग्निकणं सुरद्विषः । जगत्प्रभोरप्रसहिष्णु वैष्णवं न चक्रमस्याक्रमताधिकन्धर‌म्‌ ॥ ५४ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-55
विभिन्नशङ्खः कलुषीभवन्मुहुर्मदेन दन्तीव मनुष्यधर्मणः । निरस्तगाम्भीर्यमपास्तपुष्पकः प्रकम्पयामास न मानसं न सः ॥ ५५ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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टिप्पणी
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-56
रणेषु तस्य प्रहिताः प्रचेतसा सरोषहुङ्कारपराङ्मुखीकृताः । प्रहर्तुरेवोरगराजरज्जवो जवेन कण्ठं सभयं प्रप्रेदिर ॥ ५६ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-57
परेतभर्तुर्महिषो मुना धनुर्विधातुमुत्खातविषाणमण्डलः । हृते पि भारे महतस्त्रपाभरा दुवाह दुःखेन भृशानतं शिरः ॥ ५७ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-58
स्पृशन्‌ सशङ्कः समये शुचावइ स्थितः कराग्रैरसमग्रपातिभिः । अधर्मधर्मोदकबिन्दुमौक्तिकैरलंचकारास्य वधूरहस्करः ॥ ५८ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-59
कलासमग्रेणा गृहानमुञ्चता मनस्विनीरुत्कयितुं पटीयसा । विलासिनस्तस्य वितन्वता रतिं न नर्म्साचिव्यमकारि नेन्दुना ॥ ५९ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-60
विदग्धलीलोचितदन्तपत्रिकाचिकीर्षय नूनमेन मानिना । न जातु वैनायकमेकमुद्धृतं विषाणमद्‍यापि पुनः प्ररोहति ॥ ६० ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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हिन्दी अर्थ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-61
निशान्तनारीपरिधानधूननस्फुटागसाप्यूरुषु लोलचक्षुषः । प्रियेण तस्यानपराधबाधिताः प्रकम्पनेनानुचकम्पिरे सुराः ॥ ६१ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-62
तिरस्कृतस्तस्य जनाभिभाविना मुहुर्महिम्ना महसां महीयसाम्‌ । बभार वाष्पैर्द्विगूणीकृतं तनुस्तनूनपाद्धूमवितानमाधिजैः ॥ ६२ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-63
तदीयमातङ्गघटाविघट्टितैः कटास्थलप्रोषितदानवारिभिः । गृहीतदिक्कैरपुनर्निवर्तिभिश्चिरस्य याथार्थ्यमलम्भि दिग्गजैः ॥ ६३ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-64
परस्य मर्माविधमुञ्झतां निजं द्विजिहृतादोषमजिह्मगामिभिः । तमिद्धमाराधयितुं सकर्णकैः कुलैर्न भेजे फणिनां भुजङ्गता ॥ ६४ ॥
सन्दर्भ
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अन्वय
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प्रसङ्ग
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-65
तपेन वर्षाः शरदा हिमागमो वसन्तलक्ष्म्या शिशिर समेत्य च । प्रसूनक्लृप्तं ददतः सदर्त्तवः पुरे स्य वास्तव्यदुटुम्बितां दधुः ॥ ६५ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-66
अभीक्ष्णमुष्णैरपि तस्य सोष्मणः सुरेन्द्रवन्दीश्वसितानिलैर्यथा । सचन्दनाम्भःकणकोमलैस्तथा वपुर्जलार्द्रापवनैर्न निर्ववौ ॥ ६६ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-67
अमानवं जातमजं कुले मनोः प्रभाविनं भाविनमन्तमात्मनः । मुमोच जानन्नपि जानकीं न यः सदाभ्मानैकघना हि मानिनः ॥ ६७ ॥
सन्दर्भ
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-68
स्मरस्यदो दाशरथिर्भवन्‌ भवानमुं वनान्ताद्वनितापहारिणम्‌ । पयोधिमाविद्धचलज्जलाविलं विलङ्घ्य लङ्कां निकषा हनिष्यति ॥ ६८ ॥
सन्दर्भ
शप्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
अन्वय
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-69
अथोपपत्तिं छलनापरो परामवाप्य शैलूष इवैष भूमिकाम्‌ । तिरोहितात्मा शिशुपालसंज्ञया प्रतीयते संप्रति सो प्यसः परैः ॥ ६९ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-70
स बालः आसीद्वपुष चतुर्भुजो मुखेन पूर्णेन्दुरुचिस्त्रिलोचनः । युवा कराक्रान्तमहीभृच्चकैरसंशयं संप्रति तेजसा रविः ॥ ७० ॥
सन्दर्भ
शप्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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व्याख्या
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-71
स्वयं विधाता सुरदैत्यरक्षसामनुग्रहापग्रहयोर्यदृच्छया । दशाननादीनभिराद्धदेवतावितीर्णवीर्यातिशयान्‌ हसत्यसौ ॥ ७१ ॥
सन्दर्भ
शप्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-72
बलावलेपादधुनापि पूर्ववत्‌ प्रबाध्यते तेन जगज्जिगीषुणा । सतीव योषित्‌ प्रकृतिः सुनिश्चिता पुमांसमन्वेति भवान्तरेष्वपि ॥ ७२ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-73
तदेनमुल्लङ्घितशासनं विधएर्विधेहि कीनाशनिवेशनातिथिम्‌ । शुभेतराचारविपक्रिमापदो विपादनीया हि सतामसाधवः ॥ ७३ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-74
हृदयमरिवधोदयादुपोढद्रढिम दधातु पुनः पुरन्दरस्य । धनपुलकपुलोमजाकुचाग्रद्रुतपरिरम्भनिपीडनक्षमत्वम्‌ ॥ ७४ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग श्लोक-75
ओमित्युक्तवतो थ शार्ङ्गिण इति व्याहृत्य वाचं नभ- स्तस्मिन्नुत्पतितं पुरः सुरमुनाविन्दोः श्रियं बिभ्रति । शत्रूणामनिशं विनाशपिशुनः क्रुद्धस्य चैद्यं प्रति व्योम्नीव भृकुटिच्छलेन वदने केतुश्चकारास्पदम्‌ ॥ ७५ ॥
सन्दर्भ
प्रस्तुतमिदं पद्यं कविकुलचक्रचूणामणि महाकवि 'माघ' प्रणीतस्य 'शिशुपालवधम' महाकाव्यस्य 'प्रथम सर्गात' समुद्धृतं अस्ति।
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